Gulamgiri गुलामगिरी
de Mahatma Jyotiba Phule
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Tapa blanda ISBN:
9781714975952
Acerca del libro
ज्योतिबा फुले शोषण के सख्त खिलाफ थे। भट्ट-ब्राह्मणों ने शुद्रों और अतिशूद्रों को किस प्रकार से शिक्षा, जमीन और संपत्ति के साधनों से वंचित किया, इसका वर्णन इस पुस्तक की विशेषता है।
बहुजन यहां के मूल निवासी हैं, वे इस देश के भूमिपुत्र हैं। आर्य लोग बाहर से आकर सदियों तक यहां के शूद्र और अतिशूद्रों के साथ संघर्ष किया। अनेक प्रकार के षड्यंत्रों का सहारा लेकर ब्रम्हणों ने शूद्रातिशूद्रों को जीता और फिर दासता की खाई में उनको ढकेल दिया।
मानसिक दासता व्यक्ति और और समाज को गतिहीन बना देती है। बहुजनों को वर्षों तक गतिहीन बनाए रखने का महापाप यहां के ब्राह्मणों ने किया, ऐसा ज्योतिबा फूले का कहना था। इस मानसिक गुलामगिरी का गंदा चेहरा दुनिया के लोगों को बताने के लिए उन्होंने यह ग्रंथ ‘गुलामगिरि’ लिखा।
बहुजन यहां के मूल निवासी हैं, वे इस देश के भूमिपुत्र हैं। आर्य लोग बाहर से आकर सदियों तक यहां के शूद्र और अतिशूद्रों के साथ संघर्ष किया। अनेक प्रकार के षड्यंत्रों का सहारा लेकर ब्रम्हणों ने शूद्रातिशूद्रों को जीता और फिर दासता की खाई में उनको ढकेल दिया।
मानसिक दासता व्यक्ति और और समाज को गतिहीन बना देती है। बहुजनों को वर्षों तक गतिहीन बनाए रखने का महापाप यहां के ब्राह्मणों ने किया, ऐसा ज्योतिबा फूले का कहना था। इस मानसिक गुलामगिरी का गंदा चेहरा दुनिया के लोगों को बताने के लिए उन्होंने यह ग्रंथ ‘गुलामगिरि’ लिखा।
Características y detalles
- Categoría principal: Historia
- Categorías adicionales Literatura y ficción, India
-
Características: 13×20 cm
N.º de páginas: 152 -
ISBN
- Tapa blanda: 9781714975952
- Fecha de publicación: may. 31, 2020
- Idioma Hindi
- Palabras clave jyotiba phule, gulamgeeri, gulamgiree, gulamgiri
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